मैं इश्क़ के जो पास आया,
केवल उसका एहसास आया,
तारो की छाँव में बैठा मैं,
पसंद बस वो लिबास आया,
खुदा मुझसे हिसाब कर बैठा,
उसका होना, ना रास आया,
लाख मनाया दिल को मैने,
छोड़कर ना वो वनवास आया,
आँसुओं से जन्मी थी 'साथी',
छूंकर मैं, अब वो घांस आया || DV ||
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