तू
मेरी
शर्माती,
परछाई,
आसमान को,
ताकती सी भोली,
जैसे इंतज़ार हो,
उड़ जाने का तुझको,
खो जाने का आकाश में,
और फिर कभी ना लौटे तू,
पर बेबस यहाँ प्रेम मे,
तेरी हिरनी सी नज़रे,
भोली और पिघलती,
क़ैद करती छाया,
तू प्यासी, मैं कुआँ,
है इंतज़ार,
उड़ने का,
संग मे,
मुझे,
आ |