उड़ते परिंदो के परों को, छूने की चाहत है,
मधुर संगीत के स्वरों को, छूने की चाहत है,
गम-ए-इश्क में डूबे, पल पल तड़प्ते है,
उन रसीले मयखानों को, छूने की चाहत है,
रंगीनियों में रंगीन, मुस्कुराहटे बटोरते है,
खुशियों की चादरों को, छूने की चाहत है,
बराबर ही होगी, खुदा के दर मे हर ज़िंदगी,
ऐसी ही कुछ चौखटों को, छूने की चाहत है,
नज़दीकियो से हम हारे, रूह है बेजान सी ,
कुछ टूटें हुए दिलों को, छूने की चाहत है,
ख्वाबो से मज़िलो तक, कौन निभायें साथ,
ऐसी कुछ परछाईयों को, छूने की चाहत है || Dr, DV ||