मैं तो बस तन्हाई पीने आया था,
वो समझा ज़िंदगी जीने आया था,
ग़लती उसकी भी नही थी कुछ,
वो भी अपने होंठ सीने आया था,
कब तलक छुपाते हम उससे आखें
खुमार, पतझड़ के महीने आया था,
मेहरबान हो गयी किस्मत भी इतनी,
ज़माने भर का दर्द, सीने आया था,
कंधे में रख हाथ से पूछा जो 'साथी',
बोला मैं हर बार तेरे जीने आया था || DV ||