है घर ये तो मुद्राओ का,
शिक्षा अब यहाँ ना मिलती है,
जेबे भरते है सब हर पल,
भिक्षा से दुनिया चलती है,
अनुशासन के अब नाम पर,
ताड़न के सब अधिकारी है,
शिक्षक सब हीरे-मोती है,
बस बच्चे यहा विकारी है,
ना समझ यहा पर मिलती है,
बस आसा कर दी सब राहें,
मेहनत करना ना जाने ये,
बस तोहफे मे मिलती आँहे,
बच्चे पूछे अब खुद से यू,
कैसा हमको अभिशाप है?
क्या इस पावन सी दुनिया में,
विद्या लेना भी पाप है?